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पचपदरा विधायक की कथनी और करनी में फर्क: अरूण चौधरी

पचपदरा विधायक अपने गिरेबान में झांके, केंद्रीय मंत्री दिल्ली में रहकर भी कर रहे सेवा कार्य
बालोतरा। पचपदरा विधायक मदन प्रजापत द्वारा सांसद महोदय पर लगाए गए आरोप तथ्यों से परे है, विधायक को यह पता नहीं की सांसद महोदय जो वर्तमान में भारत सरकार के केंद्रीय मंत्री भी हैं ,को समय-समय पर भारत सरकार के प्रधानमंत्री द्वारा बुलाई जाने वाली अत्यावश्यक बैठको में भाग लेना पड़ता है। यह बात भाजपा महामंत्री अरूण चौधरी ने प्रेस नोट जारी कर कहीं। उन्होंने कहा कि राजस्थान राज्य में कोरोना महामारी के साथ ही टिड्डी की समस्या अपने आप में एक भयंकर विकट समस्या है। अत: सांसद द्वारा दिल्ली में कृषि विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ सामंजस्य बैठाकर टिड्डी नियंत्रण के क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के सार्थक प्रयास किए हैं जिसका फल स्वरुप है कि आज जो भी बचाव कार्य  टिड्डीयो  से संबंधित बचाव कार्य किया जा रहा है उस सब का श्रेय केवल और केवल मात्र भारत सरकार के मंत्री एवं सांसद कैलाश चौधरी को जाता है।
राज्य सरकार केवल मात्र फुटबॉल की गेंद को अपने पास आते ही  सामने के पाले में भेजने का कार्य करती है अर्थात राज्य सरकार हर बात केंद्र सरकार पर डालती है, जबकि सार्थक परिणाम है कि केंद्र सरकार किसी भी कार्य को करना चाहती है और राज्य सरकार केवल मात्र अखबारी बयान बाजी रखकर अपना उल्लू सीधा कर आम गरीब एवं किसान लोगों को बेवकूफ बना रही है।
कैलाश चौधरी के द्वारा सप्ताह में प्रत्येक दिन स्थानीय प्रशासन एवं संसदीय क्षेत्र की जनता ओर भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं एवं पदाधिकारियों से मोबाइल पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा निरंतर मार्गदर्शन दिया  गया है।
सांसद कैलाश चौधरी द्वारा अपने स्वयं के खर्चे पर पचपदरा विधानसभा क्षेत्र में कई जगह खाने के किट वितरित करवाए गए जबकि स्थानीय विधायक द्वारा राजकोष की राशि से किट वितरित कराए गए जिसमें भी यह देखा गया कौन उनका वोटर है और कौन नहीं इस तरह की महामारी में  बदनियति  रखकर जो  किट वितरित किए गए उन्हें जनता कभी माफ नहीं करेगी । 
विधायक को नगर परिषद बालोतरा सभापति द्वारा सफाई के टेंडरों   को निरस्त करने हेतु स्वायत्त शासन विभाग में जो पत्र लिखा गया है उसका समर्थन करते हुए ,इस करोड़ों के  टेंडर को तुरंत प्रभाव से रोक लगवाने हेतु अपनी अनुशंसा पत्र लिखें तथा विधायक  स्वयं राज्य सरकार से 3 माह के बिजली के बिल माफ करने हेतु मुख्यमंत्री के समक्ष आज ही अपनी मांग उठाएं।
स्थानीय विधायक द्वारा कोरोना महामारी में लॉक डाउन की पालना तोड़ते हुए कई लोगों की जिंदगी दांव में रखते हुए उद्घाटन को वरीयता दी गई, क्या ऐसे समय में किसी प्रकार का कोई उद्घाटन होना चाहिए? उन्होंने लाक- डाउन के दौरान ही उसकी पालना को तोड़ते हुए  कई मीटिंग अपने घर और अन्य स्थानों पर  की गई। यदि मीटिंग करनी ही थी तो सोशल मीडिया के मार्फत उन्हें करनी चाहिए थी।
विधायक दूसरों को सीख देते हैं पहले इस तरह की सीख खुद में अपनाएं उसके बाद में दूसरों को किसी प्रकार की सलाह दें।

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